वातावरण परिवर्तन का प्रभाव हमारे शरीर पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अवश्य ही पड़ता है। चिकित्सीय भाषा में सामान्य तापमान को नॉरमोथेरमिया (Normothermia) कहां जाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि सदैव शरीर का तापमान सामान्य तापमान के बराबर हो। हर व्यक्ति के शरीर के तापमान उसकी उम्र, लिंग, शारीरिक क्रियाओं, इंफेक्शन की दर, मौसम के परिसंचरण, चेतना और उसकी भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करता है। विशेषज्ञों के अनुसार शरीर का सामान्य तापमान 97.8 डिग्री फॉरेनहाइट (36.11डिग्री सेल्सियस) से 99.0 डिग्री फॉरेनहाइट ( 37.22 डिग्री सेल्सियस) माना जाता है जबकि नवजात शिशुओं एवं बच्चों का तापमान 97.9 डिग्री फॉरेनहाइट(36.6 डिग्री सेल्सियस) 100.4 डिग्री फॉरेनहाइट(38 डिग्री सेल्सियस) माना जाता है। जो बड़ों के तापमान की तुलना में काफी अधिक है। इन सभी में सामान्य परिवर्तन स्वीकार्य है किंतु जब किसी व्यक्ति का शारीरिक तापमान बहुत कम या बहुत ज्यादा हो जाता है, तो अनेक शारीरिक क्रियाएं इससे बाधित होती है या यूं कहो की प्रभावित होती हैं। हमारे शरीर का आंतरिक तंत्र अपनी अपनी भूमिकाओं का संचालन ठीक से नहीं कर पाता है, जिसके प्रभाव से शरीर वायरल संक्रमण एवं तंत्रिका संबंधी विकारों के प्रकोप में आ जाता है। सामान्य रूप में जब शरीर का तापमान कम हो जाता है तब हमारा शरीर ठंडा पड़ जाता है । चिकित्सीय भाषा में इसे हाइपोथर्मिया कहां जाता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें शरीर के तापमान को गर्म करने के लिए डॉक्टर विशेष प्रकार की तकनीकों का प्रयोग करते हैं। इसके विपरीत जब हमारे शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, तब हमें बुखार हो जाता है,शरीर गर्म हो जाता है या अतिरिक्त पसीना आने लगता है। बढ़ती गर्मी में शरीर का तापमान बढ़ जाने से हीट स्ट्रोक हो सकता है। इसलिए शरीर के तापमान का संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है।
शरीर में उत्पन्न गर्मी के लक्षण
हमारे शरीर का तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है तब हमारे शरीर में अनेक संकेत एवं लक्षण दिखाई पड़ते हैं जो निम्नवत हैं –
- शरीर गर्मी बढ़ जाने से व्यक्ति को बुखार हो जाता है। वह काफी थका हुआ महसूस करता है और उसे बार-बार पसीना आता ही रहता है।
- शरीर के तापमान का एकाएक बढ़ने से हमारा हृदय तेज गति से धड़कने लगता है।
- शरीर के तापमान की वृद्धि से व्यक्ति को अधिक प्यास लगती है ।उसका गला सूख जाता है और उसे बार-बार पानी पीने की सिर्फ इच्छा होती है।
- व्यक्ति को उल्टी या मितली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- शरीर की गर्मी बढ़ने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति थी काफी प्रभावित होती है। कई लोगों अधिक क्रोध भी आता है ।
- व्यक्ति अधिक थकावट महसूस करता है। सामान्य कार्य करने में भी वह काफी असहज महसूस करता है।
- भीषण गर्मी के प्रकोप से खुशी पचा झुलस जाती है। त्वचा पर चकत्ते, मुंहासे, लालीमा और झाइयां हो जाती है।
- शरीर की गर्मी बढ़ने से अतिरिक्त रक्तस्राव भी हो जाता है।
- शरीर की बढ़ती गर्मी के कारण कल का तापमान भी बढ़ जाता है जिस कारण सिर दर्द की समस्या हो जाती है।
- शरीर की गर्मी से व्यक्ति को पेट की समस्या हो जाती है।
शरीर की गर्मी दूर करने के उपाय
शरीर की गर्मी दूर करने के अनेक प्राकृतिक उपाय हैं, जिनका अनुपालन करके हम हमारे शरीर का तापमान सामान्य कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- पानी का सेवन – गर्मी के मौसम में जरूरी आदत पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना है। मौसम परिवर्तन के कारण शरीर में पानी की कमी शीघ्र हो जाती है हमें प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीना चाहिए। अपने शरीर को हाइड्रेट रखते का यह एक बेहतरीन उपाय है।
- ठंडे पानी से नहाना- शरीर के तापमान को कम करने के लिए सबसे कारगर उपाय ठंडे पानी से नहाना है जिससे शरीर को प्राकृतिक ठंडक का मिलती है ।
- हाइड्रेटिंग फूडस का करे इस्तेमाल- शरीर की गर्मी को संतुलित रखने के लिए हमें ऐसे फलों का सेवन करना चाहिए जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी पाया जाता हो। खीरा,खरबूजा, तरबूज स्ट्रॉबेरी का सेवन करने से हमारा शरीर हाइड्रेट रहता है।
- ठंडे पेय पदार्थों का सेवन- शरीर से गर्मी दूर करने के लिए ठंडे पेय पदार्थो – नीबू पानी, नारियल पानी,आम पन्ना, छाछ, पुदीना पानी, जलजीरा, गोंद शिकंजी एवम् ठंडाई का प्रयोग करना चाहिए। इनमें पर्याप्त मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिंस, मिनरल्स एवं प्रोबायोटिक पाए जाते हैं जो निर्जलीकरण के प्रभाव से लड़ते हैं। हमें सोडा और कार्बोनेटेड इसके सेवन से बचना चाहिए।
- तले -भूने खाने से परहेज – हमें तले भुने खाने से बचना चाहिए। तेज मसाले और तले हुए पदार्थों के सेवन से गैस और अपच की समस्या हो सकती है।
- सत्तू का करे प्रयोग- अपने शरीर को तुरंत ठंडक प्रदान करने के लिए हमें का प्रयोग करना चाहिए। सत्तू की तासीर ठंडी प्रकृति की होती है लू लगने की समस्या एवं निजलीकरण की समस्या नहीं होती है।इसमें खनिज, कार्ब्स, फाइबर समृद्ध मात्रा के पाए जाते हैं जिससे शरीर को तुरंत स्फूर्ति मिल जाती है।
- मटके के पानी का करे प्रयोग- मटके के पानी में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम खनिजों के अतिरिक्त अनेक औषधीय गुण होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर को शीतलता प्रदान करता हैं। मटके के पानी के सेवन से त्वचा रोग,उच्च रक्तचाप,गले एवम् पाचन संबंधी रोग नही होते है, इसलिए फ्रिज के पानी के स्थान पर मटके के पानी का सेवन अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक होता है।
- गोंद कतीरा का करे सेवन – गोंद
कतीरा पेड़ से निकले वाला एक बहुगुणी खाद्य पदार्थ है। गोंद कतीरा एक चिपचिपा , स्वादहीन पदार्थ है,जिसकी तासीर ठंडी होती है। जो हीट स्ट्रोक और सनस्ट्रोक से बचाता है। गर्मी में इसका प्रयोग शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। - कांसे की कटोरी से पैरों की मालिश- शरीर की गर्मी को, प्राकृतिक तरीके से दूर करने के लिए आयुर्वेद में कांसे की कटोरी से पैरों की मसाज उपयुक्त मानी गई है। कांसा धातु तांबा, टिन और जिंक धातु के संयोजन से मिलकर तैयार होती है ।अपनी प्रकृति से तांबा हमारे शरीर के दर्द एवं सूजन को कम करता है। जिंक हमारे पाचनतंत्र को मजबूत करता है जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है। वहीं जिंक सरदर्द एक अनिंद्रा जैसे रोगों का निदान करता है। कांसे की कटोरी की मसाज से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन, समुचित ऊर्जा प्रवाह और रक्त संचरण दुरस्त होता है। हमारे जोड़ो और गतिशीलता में सुधार होता है। शरीर से टॉक्सीन पदार्थ निकलने से हमारा मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है । हमारा मन स्थिर होता है और अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों से कोसों दूर रहते है।